बिहार में कोरोना विषाणु का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है,दूसरी ओर उत्तर बिहार पर बाढ़ का खतरा सामने है, किसानों द्वारा उत्पादित सामान मिट्टी के मोल बिक रहे हैं,जो मजदूर तालाबंदी के दौरान घर लौटे थे,काम के अभाव में फिर से दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं,पूरा राज्य कोरोना महामारी के आतंक के साए में जी रहा है, सरकारी वादे के अनुसार न तो सबों को राशन मिल रहा है और न काम,सरकार महामारी से लड़ने और आम लोगों को भूख से बचाने में पूरी तरह विफल है। कम से कम जांच करके सरकार दिखाना चाहती है कि बिहार में संक्रमितों की संख्या बहुत कम है।लेकिन अचानक एक साथ दर्जन भर जिलों में तालाबंदी की घोषणा ,सरकार की असफलता की कहानी कहने के लिए पर्याप्त है। स्वास्थ्य से जुड़े आधारभूत संरचना की दरिद्रता ने पिछले पंद्रह सालों की जद(यूं),भाजपा की तथाकथित विकास के ढोल की पोल खोल कर रख दी है।
इस तरह की भयावह परिस्थिति में योजनाबद्ध ढंग से महामारी पर काबू पाने के बजाय जनतंत्र के अपहरण की कोशिश हो रही है। जोर शोर से चुनाव की तैयारी की जा रही है। चुनाव संबंधी नियमों को बदला जा रहा है। आभासी रैलियां आयोजित की जा रहीं हैं।
सीपीआईएम, चुनाव में आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने और सभी राजनैतिक दलों के लिए समान धरातल पर चुनाव लड़ने के लिए समान अवसर मुहैया कराने में विश्वास करती है।
बिहार एक असामान्य स्थिति से गुजर रहा है । इस समय सबको मिलकर इस स्थिति का सामना करना है। बिहार सरकार तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबों का सहयोग हासिल करने के लिए पहल करें और चुनाव के संबंध में भी एक सर्वसम्मत सहमति
पर पहुंचने का प्रयास करें।
पार्टी , चुनाव की मर्यादा और इसके जनतांत्रिक पहलुओं पर किसी भी तरह के आघात का जोरदार प्रतिरोध करेगी।
अवधेश कुमार
राज्य सचिव