पारस हौस्पीटल दरभंगा के डायलिसिस युनिट द्वारा इलाजरत मरीज़ो को हैपेटाइटिस C से संक्रमित करने का गम्भीर आरोप लगा है और इसके विरुद्ध सिविल सर्जन के पास एक लिखित शिकायत भी दर्ज की गई है। पारस हौस्पीटल प्रबंधन और डाक्टर पर लापरवाही का यह आरोप लगा है की मेडिकल नियमों को ताक पर रख कर मरीजों का इलाज किया जा रहा है जिससे मरीज और भी खतरनाक संक्रमित बिमारियों के शिकार हो रहें है ।
पारस हौस्पीटल दरभंगा द्वारा नेफ्रोलोजिस्ट डा. प्रशांत कुमार के जाने के बाद पारस मे ही कार्यरत डा. अब्दुल वहाब जो की आर.एम.ओ थे उनको प्रमोट कर नेफ्रोलोजिस्ट बना कर किडनी के मरीज़ो का इलाज किया गया। ये सारा खेल पारस युनिट हेड संदीप घोष, डा. अब्दुल वहाब और टेक्नीशियन राहुल मौर्य के मिली भगत से खेला गया ।
ताजा धटना के अनुसार एक ही डायलिसिस मशीन पर एक हैपेटाइटिस C संक्रमित पेशेंट के डायलिसिस के उपरांत उसी मशीन पर दूसरे पेशेंट का डायलिसिस किया गया जिससे वो पेशेंट भी हैपेटाइटिस C से संक्रमित हो गया। सूत्रों के अनुसार अभी तक 5 से 6 मरीज इस खतरनाक संक्रमण की चपेट मे आ चुके हैं और नियमित डायलिसिस करवा रहे पेशेंट कभी भी इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं क्योंकि अस्पताल प्रबंधन इसके प्रति कोई ठोस कार्रवाई करते नहीं दिख रहा। मरीज के परिजन का कहना है की उन्होंने सर्वप्रथम इसके खिलाफ अस्पताल मे ही वरिष्ठ अधिकारियों से बात की थी और कहा था की ऐसे मे हमारे मरीज को संक्रमण होने की सम्भावना है परंतु उन्होंने ये अस्वस्थ किया की अस्पताल किसी भी मरीज की जिन्दगी से नहीं खेल सकता जो की बाद मे उनकी सारी बातें खोखली निकली । उनमे कुछ ऐसे मरीज भी हैं जो किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रयासरत थे उन्के पास डोनर है और बिहार स्वास्थ विभाग द्वारा एन.ओ.सी भी प्राप्त है और प्रिट्रांस्पलांट टेस्ट मे वो पेशेंट हैपेटाइटिस C से संक्रमित पाई गई जिसके पश्चात पटना पारस के वरिष्ठ डाक्टरों ने उस पेशेंट के किडनी प्रत्यारोपण के लिए साफ साफ मना कर दिया । इससे साफ पता चलता है की जो पेशेंट पुर्णतः स्वस्थ हो सकता था आज के समय मे लाचार है और उसपर इलाज का अतिरिक्त बोझ भी बढ गया है ।
मरीज के परिजन का यह भी कहना है की शिकायत करने के पश्चात निष्कर्ष देने की जगह विभिन्न तरीकों से पेशेंट और परिजन को प्रताड़ित किया जाने लगा, कभी बहुत सारे टेस्ट करवाने को कहा जाता है कभी डायलिसिस के लिए समय नहीं दिया जाता । इस तरह पेशेंट और उसके परिजन का मनोबल तोड़ने को हौस्पीटल प्रबंधन प्रयासरत है ।इन सभी बातों के बीच जो बात सामने आई है वो यह है की अस्पताल की लापरवाही का जिम्मेदार कौन ?
मरीजों के संक्रमण के लिए कौन उत्तरदायी होगा?
और क्या इलाज के नाम पर निजी हौस्पीटल द्वारा मरीजो से पैसा लूटने के बावजूद मौत बांटने के इस खेल पर सरकार अंकुश लगाने मे असमर्थ ?